????जय श्री कृष्ण???? श्रीमद् भगवद् गीता सार: अध्याय 2 - सांख्य योग???? सांख्य योग के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने पुरुष की प्रकृति और उसके अंदर समाहित तत्वों के बारे में समझाया। उन्होनें अर्जुन को बताया कि मनुष्य को जब भी लगे कि उस पर दुख या विषाद हावी हो रहा है उसे सांख्य योग यानी पुरुष प्रकृति का विश्लेषण करना चाहिए।
मनुष्य दो प्रकार के होते हैं पहले प्रकार के मनुष्य अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए कुछ भी करने के लिए तत्पर होते हैं और दूसरे प्रकार के मनुष्य अपनी इन्द्रियों को वश में रख कर अपनी इच्छाओं को अपने अंदर आत्मसात करने की ढृढ़ता रखते हैं । ऐसे मनुष्य सदैव सत्कर्म करते हुए परम शान्ति को प्राप्त करते हैं। अर्थात् अपनी इन्द्रियों पर संयम रखना चाहिए, अपनी इच्छाओं पर अंकुश रखना चाहिए, मन को वश में करना अत्यधिक आवश्यक है ताकि हम अपनी इच्छाओं की प्राप्ति के लिए किसी भी सीमा को पार न करें, कोई दुष्कर्म ना करें। जिन मनुष्यों का अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रहता है वे सदैव अच्छे कार्यों में लिप्त रहते हैं अतएव इस अध्याय से हमें यही प्रेरणा मिलती है की हमें सदैव सत्कर्म करना चाहिए और हमें कभी भी इच्छाओं के प्रबल प्रवाह से विचलित नहीं होना चाहिए।
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |
Video Link: https://youtu.be/WURz0vnEpHQ
Bhagwad Geeta All Parts: https://www.youtube.com/playlist?list=PLyXHXSHxLqKwXaL5dFkzLOVU_9sYQIiUZ
Geeta Updesh: Shrimad Bhagwad Geeta Saar Part 2 सांख्य योग Sankhya Yog
Vaachak: Manoj Mishra
Music: Shardul Rathod
Lyrics: Traditional
Album: Shrimad Bhagwad Geeta Saar अध्याय 2 - सांख्य योग Sankhya Yog
Music Label: T-Series
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मनुष्य दो प्रकार के होते हैं पहले प्रकार के मनुष्य अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए कुछ भी करने के लिए तत्पर होते हैं और दूसरे प्रकार के मनुष्य अपनी इन्द्रियों को वश में रख कर अपनी इच्छाओं को अपने अंदर आत्मसात करने की ढृढ़ता रखते हैं । ऐसे मनुष्य सदैव सत्कर्म करते हुए परम शान्ति को प्राप्त करते हैं। अर्थात् अपनी इन्द्रियों पर संयम रखना चाहिए, अपनी इच्छाओं पर अंकुश रखना चाहिए, मन को वश में करना अत्यधिक आवश्यक है ताकि हम अपनी इच्छाओं की प्राप्ति के लिए किसी भी सीमा को पार न करें, कोई दुष्कर्म ना करें। जिन मनुष्यों का अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रहता है वे सदैव अच्छे कार्यों में लिप्त रहते हैं अतएव इस अध्याय से हमें यही प्रेरणा मिलती है की हमें सदैव सत्कर्म करना चाहिए और हमें कभी भी इच्छाओं के प्रबल प्रवाह से विचलित नहीं होना चाहिए।
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |
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Geeta Updesh: Shrimad Bhagwad Geeta Saar Part 2 सांख्य योग Sankhya Yog
Vaachak: Manoj Mishra
Music: Shardul Rathod
Lyrics: Traditional
Album: Shrimad Bhagwad Geeta Saar अध्याय 2 - सांख्य योग Sankhya Yog
Music Label: T-Series
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