????जय श्री कृष्ण???? श्रीमद्भगवद्गीता सार ज्ञान कर्म सन्यास योग: अध्याय 4 - सन्यास योग???? भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद भगवद गीता अध्याय ४ में सन्यास योग की परिभाषा को व्यक्त किया गया है। यहाँ भगवान बताते है कि ये ज्ञान उन्होंने सूर्य को बताया था, और वो बताते है कि ये ज्ञान बहुत ही गुप्त विषय है। ये ज्ञान करोड़ों वर्ष पहले सूर्य को दिया था और “समय के साथ अधर्म के बढ़ते” हुए ये ज्ञान विलुप्त हो गया। चूँकि अर्जुन उनके भक्त हैं, मित्र हैं और बुद्धिमान भी हैं इसीलिए ये ज्ञान भगवान श्री कृष्ण उन्हें दे रहे हैं। कर्म योगी निष्काम कर्म के द्वारा भौतिक जगत के विषय भोगों में रूचि नहीं रखता क्योकि वह सभी कर्मों का फल भगवान को सौंप देता है और सामाजिक हित के उद्देश्य से कर्म करता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है। भगवान श्री कृष्ण के अनुसार भी कर्म योगी बनना ही आसान और श्रेष्ठ है।
ये ज्ञान बहुत ही उत्तम रहस्य है। इस ज्ञान का अनादर नही होना चाहिए अर्थात हमें इस ज्ञान को जानने के बाद अपने जीवन में अपनाना चाहिए
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिभर्वति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम
जब जब धर्म की हानि होती है और नीच, अहंकारी व्यक्ति बढ़ जाते हैं, और वे ऐसा अन्याय करते हैं कि जिसका वर्णन नहीँ हो सकता तथा असहाय व्यक्ति,पशु आदि कष्ट पाते हैं, तब तब वे कृपा निधान प्रभु, अपनी योग माया से दिव्य शरीर धारण कर,समाज की पीड़ा को हरते हैं। सृष्टि में कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते है जो भ्रष्टाचारी होते हैं और खुद को ईश्वर समझते हैं और किसी भी गलत काम से नही डरते हैं। तो इस प्रकार के व्यक्ति को दंड देने के लिए भगवान आते हैं। अब भगवान बताते है कि जब व्यक्ति काम, क्रोध, मद और लोभ में फंसकर दूसरे लोगो का अहित शुरू कर देता है। वो तीनों लोकों में सजा पाता है। लेकिन यदि व्यक्ति काम, क्रोध, मद और लोभ को खत्म कर खुद को श्रीकृष्ण को समर्पित कर देते है तो वो मोक्ष प्राप्त करते हैं। भगवान अर्जुन से कहते है कि जो मनुष्य मुझे निरन्तर ध्यान करते हैं उनके सभी अवगुणों को हर लेता हूँ। भगवान बताते है कि मन की शांति पाने के लिए कर्म के फल से बचना चाहिए।
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |
Video Link: https://youtu.be/_v9dmUxxyL8
Bhagwad Geeta All Parts: https://www.youtube.com/playlist?list=PLyXHXSHxLqKwXaL5dFkzLOVU_9sYQIiUZ
Geeta Updesh: Shrimad Bhagwad Geeta Saar Part 2 सांख्य योग Sankhya Yog
Vaachak: Manoj Mishra
Music: Shardul Rathod
Lyrics: Traditional
Mix & Mastered By: Dattatray Narvekar
Album: श्रीमद् भगवद् गीता सार कर्म योग Shrimad Bhagwad Geeta Saar 3,Gita Saar| MANOJ MISHRA | Karm Yog
Music Label: T-Series
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ये ज्ञान बहुत ही उत्तम रहस्य है। इस ज्ञान का अनादर नही होना चाहिए अर्थात हमें इस ज्ञान को जानने के बाद अपने जीवन में अपनाना चाहिए
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिभर्वति भारत
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जब जब धर्म की हानि होती है और नीच, अहंकारी व्यक्ति बढ़ जाते हैं, और वे ऐसा अन्याय करते हैं कि जिसका वर्णन नहीँ हो सकता तथा असहाय व्यक्ति,पशु आदि कष्ट पाते हैं, तब तब वे कृपा निधान प्रभु, अपनी योग माया से दिव्य शरीर धारण कर,समाज की पीड़ा को हरते हैं। सृष्टि में कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते है जो भ्रष्टाचारी होते हैं और खुद को ईश्वर समझते हैं और किसी भी गलत काम से नही डरते हैं। तो इस प्रकार के व्यक्ति को दंड देने के लिए भगवान आते हैं। अब भगवान बताते है कि जब व्यक्ति काम, क्रोध, मद और लोभ में फंसकर दूसरे लोगो का अहित शुरू कर देता है। वो तीनों लोकों में सजा पाता है। लेकिन यदि व्यक्ति काम, क्रोध, मद और लोभ को खत्म कर खुद को श्रीकृष्ण को समर्पित कर देते है तो वो मोक्ष प्राप्त करते हैं। भगवान अर्जुन से कहते है कि जो मनुष्य मुझे निरन्तर ध्यान करते हैं उनके सभी अवगुणों को हर लेता हूँ। भगवान बताते है कि मन की शांति पाने के लिए कर्म के फल से बचना चाहिए।
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |
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Vaachak: Manoj Mishra
Music: Shardul Rathod
Lyrics: Traditional
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