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श्रीमद्भगवद्गीता सार:अध्याय 9 राज विद्या राज गुह्य योग,Shrimad Bhagwad Geeta Saar,Gita, MANOJ MISHRA

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????जय श्री कृष्ण???? श्रीमद्भगवद्गीता सार: राज विद्या राज गुह्य योग: अध्याय ९- राज विद्या राज गुह्य योग???? भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 9 में राज विद्या राज गुह्य योग की परिभाषा को व्यक्त किया है। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं की ये सबसे गुप्त ज्ञान है जो मनुष्य इस ज्ञान को ग्रहण कर लेता है उसको मोक्ष मिलना निश्चित है । यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है। जो मनुष्य इस ज्ञान को समझ नहीं पाते हैं वो श्री कृष्ण को न प्राप्त करके मृत्युरूप संसार चक्र में भ्रमण करते रहते हैं । भगवान अर्जुन से कहते हैं कि वो इस संसार के कण कण में स्थित हैं सारी सृष्टि श्री कृष्ण में ही समायी हुई है वो ही इसका विनाश करते हैं और वो ही इसकी पुनः स्थापना करते हैं। जो मनुष्य केवल अपने स्वार्थ और इच्छा पूर्ति के लिए कर्म करता है वो कर्म ईश्वर को बाँध नहीं पाते हैं ऐसे मनुष्यों को ईश्वर की प्राप्ति कभी नहीं होती वे मृत्यु पश्चात भी इस संसार में पुनः जन्म लेते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होत। अतः मनुष्य को सदैव कर्त्तव्य भाव के साथ कर्म करना चाहिए और उन कर्मों का फल श्री कृष्ण को समर्पित कर देना चाहिए । श्री मुरली मनोहर अर्जुन से कहते हैं की दृढ़ निश्चय वाले भक्तजन निरंतर मेरे नाम और गुणों का कीर्तन करते हुए तथा मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करते हुए और मुझको बार-बार प्रणाम करते हुए सदा मेरे ध्यान में युक्त होकर अनन्य प्रेम से मेरी उपासना करते हैं । मैं सर्वज्ञ हूँ अर्थात क्रतु मैं हूँ, यज्ञ मैं हूँ, स्वधा मैं हूँ, औषधि मैं हूँ, मंत्र मैं हूँ, घृत मैं हूँ, अग्नि मैं हूँ और हवनरूप क्रिया भी मैं ही हूँ । ये संपूर्ण संसार मेरे अंदर ही समाया हुआ है मैं सृष्टि के कण कण में विराजमान हूँ। मैं ही सूर्यरूप से तपता हूँ, वर्षा का आकर्षण करता हूँ और उसे बरसाता हूँ। हे अर्जुन! मैं ही अमृत और मृत्यु हूँ और सत्‌-असत्‌ भी मैं ही हूँ । अतः मुझे प्राप्त करने के लिए केवल भक्ति मार्ग ही श्रेष्ठ मार्ग है जो मनुष्य अपनी आत्मा को मुझमें नियुक्त करता हुआ मेरी भक्ति करता है मैं केवल उसे ही प्राप्त होता हूँ।

भगवद् गीता:-
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |

Video Link: https://youtu.be/w_gttMQ5jtc
Bhagwad Geeta All Parts: https://www.youtube.com/playlist?list=PLyXHXSHxLqKwXaL5dFkzLOVU_9sYQIiUZ
Geeta Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता सार:अध्याय ९ अक्षर ब्रह्म योग | Shrimad Bhagwad Geeta Saar 9 Akshar Brahm Yog | Gita Saar | MANOJ MISHRA
Vaachak: Manoj Mishra
Music: Shardul Rathod
Lyrics: Traditional
Mixed & Mastered By: Dattatray Narvekar
Album: श्रीमद्भगवद्गीता सार:अध्याय ९ अक्षर ब्रह्म योग | Shrimad Bhagwad Geeta Saar 9 Raj Vidya Raj Guhya Yog | Gita Saar | MANOJ MISHRA
Music Label: T-Series

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Category
टी-सीरीज़ - T-Series
Tags
Geeta Saar, Geeta Saar In Hindi Full, Geeta Saar In Mahabharat Full
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