श्रीमद्भगवद्गीता सार: अध्याय 11 विश्वरूप दर्शन योग | Vishwaroop Darshan Yog | Shrimad Bhagwad Geeta Saar | Gita, Saar | MANOJ MISHRA???? भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 11 में अपने विश्वरूप का दर्शन कराते हैं | अर्जुन कहते हैं हे माधव! आपने मुझे वेदों उपनिशदों का ज्ञान समझाया, भौतिक जीवन के व्यर्थ के ज्ञान का नाश करने में मेरी सहायता की, आपने मुझे मोह लालच इत्यादि विकारों से मुक्त कर दिया। अर्जुन आगे कहते हैं की अगर श्री कृष्ण उन्हें अपने विश्वरूप का दर्शन लाभ लेने के लायक समझते हैं तो कृपया वे उनको अपना विराट स्वरूप दिखाएं I श्री कृष्ण के दिए ज्ञान से अर्जुन उन्हें जान तो चुके थे पर अब वह उनके विश्वरूप के दर्शन पाने की जिज्ञासा में थे।
अर्जुन परम गोपनीय ज्ञान जान चुके थे जो बड़े से बड़े ऋषि मुनि देवता भी नहीं जानते हैI परंतु ऐसा श्री कृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों बताया क्योंकि प्रभु अपने भक्तों से सबसे अधिक प्रेम करते हैं। अब अगर मनुष्य ही इस परम ज्ञान को प्राप्त नहीं कर पाता है तो इसके लिए वो स्वयं उत्तरदायी है । अब श्री कृष्ण अर्जुन को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हैं I दिव्य दृष्टि के अभाव में श्री कृष्ण के भव्य रुप के दर्शन करना संभव नहीं है | अनेक भूषणों से युक्त, अनेक मुख वाले विराट रूप को अर्जुन ने देखा, उस रूप को देखना हज़ारो सूर्य, हज़ारो चन्द्रमा को देखने सामान है और यह सोचने वाली बात है हज़ारो सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश व ताप कितना घनघोर होगा I
अर्जुन को श्री कृष्ण के विश्वरूप में यह जगत जिसमे वो और हम हैं और इसके अलावा अलग-अलग असंख्य जगत विद्यमान दिख रहे हैं, यह सब अर्जुन की कल्पना के परे है और वह श्रद्धा भक्ति से हाथ जोड़ देख रहे हैं और चकित होकर विराट रूप के सामने नतमस्तक खड़े हैं I
हाथ जोड़ अर्जुन श्री कृष्ण के विराट रूप में महादेव, ब्रह्मा, दिव्य सर्प, देवतागण और अनेकों भुजा, मुख, अनेको नेत्र देख रहे हैं। अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं कि आप मुझे नष्ट रहित परम अक्षर के रूप में दिख रहे हैं I अर्जुन जान रहे हैं श्री कृष्ण ही सनातन पुरुष हैं और हर तरफ वही विस्तारित हैं
अर्जुन श्री कृष्ण के रूप के वर्णन का प्रयास करते हैं और कहते हैं कि मैं इस रूप को जगत का पालन करता देखता हूँ जिसका तेज़ हज़ारो सूर्य चन्द्रमा से भी अधिक है, मैं इसमें समस्त संसार को देखता हूँ, धरती आकाश, वायु देखता हूँ और इस अलौकिक रूप में श्री कृष्ण आपको देखता हूँ, लेकिन यह रूप जितना अलौकिक है उतना ही भयंकर भी, जिससे तीनो लोक डर कर व्याकुल हो रहे हैं |
देवताओं के समूह श्री कृष्ण में विलीन होते दिख रहे हैं | ऋषि मुनि उनकी स्तुति करते दिख रहे है | कालांतर में ११ रूद्र रूपों में प्रकट हुए शिव, १२ आदित्य, ८ वसु, साध्यगण, विश्वदेवा, पितरों का समुदाय ये सब धन्य होकर श्री कृष्ण को देख रहे हैं | भगवान श्री कृष्ण के भव्य और विराट रूप के दर्शन कर अर्जुन धन्य हो जाते हैं |
भगवद् गीता:-
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |
Video Link: https://youtu.be/YkPVywiYhSs
Bhagwad Geeta All Parts: https://www.youtube.com/playlist?list=PLyXHXSHxLqKwXaL5dFkzLOVU_9sYQIiUZ
Geeta Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता सार: अध्याय 11 विश्वरूप दर्शन योग | Vishwaroop Darshan Yog | Shrimad Bhagwad Geeta Saar | Gita, Saar | MANOJ MISHRA????
Vaachak: Manoj Mishra
Music: Shardul Rathod
Lyrics: Traditional
Mixed & Mastered By: Dattatray Narvekar
Album: श्रीमद्भगवद्गीता सार: अध्याय 11 विश्वरूप दर्शन योग | Vishwaroop Darshan Yog | Shrimad Bhagwad Geeta Saar | Gita, Saar | MANOJ MISHRA????
Music Label: T-Series
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अर्जुन परम गोपनीय ज्ञान जान चुके थे जो बड़े से बड़े ऋषि मुनि देवता भी नहीं जानते हैI परंतु ऐसा श्री कृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों बताया क्योंकि प्रभु अपने भक्तों से सबसे अधिक प्रेम करते हैं। अब अगर मनुष्य ही इस परम ज्ञान को प्राप्त नहीं कर पाता है तो इसके लिए वो स्वयं उत्तरदायी है । अब श्री कृष्ण अर्जुन को दिव्यदृष्टि प्रदान करते हैं I दिव्य दृष्टि के अभाव में श्री कृष्ण के भव्य रुप के दर्शन करना संभव नहीं है | अनेक भूषणों से युक्त, अनेक मुख वाले विराट रूप को अर्जुन ने देखा, उस रूप को देखना हज़ारो सूर्य, हज़ारो चन्द्रमा को देखने सामान है और यह सोचने वाली बात है हज़ारो सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश व ताप कितना घनघोर होगा I
अर्जुन को श्री कृष्ण के विश्वरूप में यह जगत जिसमे वो और हम हैं और इसके अलावा अलग-अलग असंख्य जगत विद्यमान दिख रहे हैं, यह सब अर्जुन की कल्पना के परे है और वह श्रद्धा भक्ति से हाथ जोड़ देख रहे हैं और चकित होकर विराट रूप के सामने नतमस्तक खड़े हैं I
हाथ जोड़ अर्जुन श्री कृष्ण के विराट रूप में महादेव, ब्रह्मा, दिव्य सर्प, देवतागण और अनेकों भुजा, मुख, अनेको नेत्र देख रहे हैं। अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं कि आप मुझे नष्ट रहित परम अक्षर के रूप में दिख रहे हैं I अर्जुन जान रहे हैं श्री कृष्ण ही सनातन पुरुष हैं और हर तरफ वही विस्तारित हैं
अर्जुन श्री कृष्ण के रूप के वर्णन का प्रयास करते हैं और कहते हैं कि मैं इस रूप को जगत का पालन करता देखता हूँ जिसका तेज़ हज़ारो सूर्य चन्द्रमा से भी अधिक है, मैं इसमें समस्त संसार को देखता हूँ, धरती आकाश, वायु देखता हूँ और इस अलौकिक रूप में श्री कृष्ण आपको देखता हूँ, लेकिन यह रूप जितना अलौकिक है उतना ही भयंकर भी, जिससे तीनो लोक डर कर व्याकुल हो रहे हैं |
देवताओं के समूह श्री कृष्ण में विलीन होते दिख रहे हैं | ऋषि मुनि उनकी स्तुति करते दिख रहे है | कालांतर में ११ रूद्र रूपों में प्रकट हुए शिव, १२ आदित्य, ८ वसु, साध्यगण, विश्वदेवा, पितरों का समुदाय ये सब धन्य होकर श्री कृष्ण को देख रहे हैं | भगवान श्री कृष्ण के भव्य और विराट रूप के दर्शन कर अर्जुन धन्य हो जाते हैं |
भगवद् गीता:-
भगवद् गीता एक महान ग्रन्थ है। युगों पूर्व लिखी यह रचना आज के धरातल पर भी सत्य साबित होती है। जो व्यक्ति नियमित गीता को पढ़ता या श्रवण करता है, उसका मन शांत बना रहता है। आज के कलयुग में भगवद् गीता पढ़ने से मनुष्य को अपनी समस्याओं का हल मिलता है आत्मिक शांति का अनुभव होता है। आज का मनुष्य जीवन की चिंताओं, समस्याओं, अनेक तरह के तनावों से घिरा हुआ है। यह ग्रन्थ भटके मनुष्यों को राह दिखाता है। गीता को, धर्म-अध्यात्म समझाने वाला अनमोल काव्य कहा जा सकता है। सभी शास्त्रों का सार एक स्थान पर कहीं एक साथ मिलता हो, तो वह स्थान है-गीता। गीता रूपी ज्ञान नदी में स्नान कर अज्ञानी सद्ज्ञान को प्राप्त करता है। पापी पाप-ताप से मुक्त होकर संसार सागर को पार कर जाता है। मन को शांति मिलती है, काम, क्रोध, लोभ, मोह दूर होता है। गीता का अध्ययन करने वाला व्यक्ति धीरे धीरे कामवासना, क्रोध, लालच और मोह माया के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आज भी राजनीतिक या सामाजिक संकट के समय लोग इसका सहारा लेते हैं। मन नियंत्रण में रहता है। सच और झूठ का ज्ञान होता है। आत्मबल बढ़ता है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है तो आइये हम सभी इस अद्भुत ज्ञान को प्राप्त करें | भगवद् गीता के इस सार को श्रवण करने से आशा है हम सभी को अवश्य आत्मज्ञान और आत्मिक सुख की अनुभूति होगी | आशा है हमारा ये प्रयास आप सभी को लाभ प्रदान करेगा |
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Lyrics: Traditional
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Music Label: T-Series
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