????????सत्य ही भगवान हैं और नारायण सबसे बड़े आराध्य हैं????????
श्रीमन्न नारायण-नारायण-नारायण।
भज मन नारायण-नारायण-नारायण।
श्री सत्यनारायण भगवान की जय॥????????
Satyanarayan
Satyanarayan Narayan Narayan Lakshmi Narayan
Singer: Hariharan
Composer: SANJAY SONKAR
Lyricist: CHIRAG JAIPURI,TRADITIONAL
Album: PRABHU TUMSA NAHIN KOI AUR
Music Label: T-Series
श्रीमन्न नारायण-नारायण-नारायण।
भज मन नारायण-नारायण-नारायण।
श्री सत्यनारायण भगवान की जय॥
सत्य ही भगवान हैं और नारायण सबसे बड़े आराध्य हैं। एकादशी या पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा-अर्चना की जाती है | ऐसी मान्यता है की कोई भी पुण्यकार्य का अवसर होने पर सबसे पहले घरों में सत्यनारायण की कथा अवश्य करना चाहिए।
संपूर्ण श्री सत्यनारायण व्रत कथा Link: https://www.youtube.com/watch?v=S8S57qn4gQM
श्री सत्यनारायण व्रत पूजा विधि:
श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर संकल्प लें कि मैं अपने सभी कष्टों को दूर करने के निमित्त और पापों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से यह व्रत कर रहा हूं। इस संकल्प के बाद पत्र, पुष्प आदि से सूर्य का पूजन करना चाहिए। पूरा दिन निराहार रहकर सायंकाल में भगवान विष्णु का पूजन, अर्चन और स्तवन करें। इस दिन किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना चाहिए। फिर भगवान शालिग्राम का अभिषेक, पूजन और अर्चन कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि देना चाहिए।
श्री सत्यनारायण व्रत कथा सार:
एक बार ऋषि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि भगवन्, इस मृत्युलोक में हर मानव दुखी प्रतीत होता है। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इन मनुष्यों के सभी कष्ट दूर हो जाएं। भगवान नारायण ने नारद से कहा कि वत्स, न केवल मृत्युलोक में अपितु स्वर्ग लोक में भी एक ऐसा व्रत है जिससे सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। नारायण ने बताया कि श्री सत्यनारायण का व्रत विधि विधान के साथ करने से सुख की प्राप्ति होती है और मनुष्य को सद्गति मिलती है। सत्य को जो भी उपासक भगवान समझकर व्रत के रूप में इसका पालन करता है, उसे सभी अलौकिक सुखों की अनुभूति होती है।
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Satyanarayan
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श्रीमन्न नारायण-नारायण-नारायण।
भज मन नारायण-नारायण-नारायण।
श्री सत्यनारायण भगवान की जय॥
सत्य ही भगवान हैं और नारायण सबसे बड़े आराध्य हैं। एकादशी या पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के नारायण रूप की पूजा-अर्चना की जाती है | ऐसी मान्यता है की कोई भी पुण्यकार्य का अवसर होने पर सबसे पहले घरों में सत्यनारायण की कथा अवश्य करना चाहिए।
संपूर्ण श्री सत्यनारायण व्रत कथा Link: https://www.youtube.com/watch?v=S8S57qn4gQM
श्री सत्यनारायण व्रत पूजा विधि:
श्री सत्यनारायण की कथा को एकादशी या पूर्णिमा के दिन किया जाता है। इस व्रत के पीछे मूल उद्देश्य सत्य की पूजा करना है। इस व्रत में भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले उपासक को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद सूर्यदेव को नमस्कार कर संकल्प लें कि मैं अपने सभी कष्टों को दूर करने के निमित्त और पापों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से यह व्रत कर रहा हूं। इस संकल्प के बाद पत्र, पुष्प आदि से सूर्य का पूजन करना चाहिए। पूरा दिन निराहार रहकर सायंकाल में भगवान विष्णु का पूजन, अर्चन और स्तवन करें। इस दिन किसी योग्य पंडित से सत्यनारायण की कथा का श्रवण करना चाहिए। फिर भगवान शालिग्राम का अभिषेक, पूजन और अर्चन कर अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि देना चाहिए।
श्री सत्यनारायण व्रत कथा सार:
एक बार ऋषि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि भगवन्, इस मृत्युलोक में हर मानव दुखी प्रतीत होता है। क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे इन मनुष्यों के सभी कष्ट दूर हो जाएं। भगवान नारायण ने नारद से कहा कि वत्स, न केवल मृत्युलोक में अपितु स्वर्ग लोक में भी एक ऐसा व्रत है जिससे सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। नारायण ने बताया कि श्री सत्यनारायण का व्रत विधि विधान के साथ करने से सुख की प्राप्ति होती है और मनुष्य को सद्गति मिलती है। सत्य को जो भी उपासक भगवान समझकर व्रत के रूप में इसका पालन करता है, उसे सभी अलौकिक सुखों की अनुभूति होती है।
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