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शनिवार परिवर्तिनी एकादशी Special भजन I बजरंग बाण I Shriman Narayan Dhun, Om Jai Jagdish Hare Aarti

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Bajrang Baan 0:00
Shriman Narayan(Dhun) 7:43
Shree Ganesh Amritwani 13:23
Om Jai Jagdish Hare Aarti 18:07
Siddhivinayak Jai Ganpati 23:39
Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikle 29:32
Pehle Dhyan Shree Ganesh 39:49
Shree Badrinath Ji Ki Aarti 45:53
Music Label: T-Series
Album: Parivaritini Ekadashi Special Bhajans

Hanuman Bhajan: Bajrang Baan
Singer: Hariharan
Music Director: Lalit Sen,Chander
Lyrics:Traditional
Album: Shree Hanuman Chalisa (Hanuman Ashtak)

Vishnu Bhajan: Shriman Narayan(Dhun)
Singer: Suresh Wadkar
Music Director: Uday Majumdar
Lyricist: Dr.B.P. Vyas
Album: Shriman Narayan (Dhun)

Ganesh Bhajan: Shree Ganesh Amritwani
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Surinder Kohli
Lyricist: Balbir Nirdosh
Album: Ganesh Amritwani

Vishnu Ji ki Aarti: Bhajan: Om Jai Jagdish Hare
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Arun Paudwal
Lyrics:Traditional
Album: Aarti Vol.6

Ganesh Bhajan: Siddhivinayak Jai Ganpati
Singer: Lakhbir Singh Lakkha
Music Director: Durga-Natraj
Lyricist: Saral Kavi
Album: Ganpati Padharo

Krishna Bhajan: Itna To Karna Swami Jab Pran Tan Se Nikle
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Pradyuman Sharma
Lyrics:Traditional
Album: Shree Ram Bhajan

Ganesh Bhajan: Pehle Dhyan Shree Ganesh
Singer: Sadhana Sargam
Music Director: Anup Jalota
Lyricist: Narayan Aggarwal
Album: Deva Ho Deva

Badrinath Bhajan: Shree Badrinath Ji Ki Aarti
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Ravindra Jain
Lyrics:Traditional
Album: Badrinath Amritwani

Parivartini Ekadashi Vrat Katha: युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कहा, हे भगवान! भाद्रपद शुक्ल एकादशी का नाम क्या है? कृप्या कर मुझे इसकी विधि तथा इसका माहात्म्य कहिए। युधिष्ठिर के सवाल का जवाब देते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि इस पुण्य, स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली एकादशी जो सब पापों का नाश करती है, इस उत्तम वामन एकादशी का माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूं। तुम ध्यानपूर्वक सुनो। इसे पद्मा/परिवर्तिनी एकादशी जयंती एकादशी भी कहा जाता है। अगर मनुष्य इस एकादशी का यज्ञ करता है तो उसे वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है। पापियों का पाप नाश करने के लिए इस व्रत से बढ़कर और कोई उपाय नहीं है। जो मनुष्य इस दिन मेरी (वामन रूप की) पूजा करता है उसे तीनों लोक पूज्य होते हैं। इस व्रत को करने से मोक्ष प्राप्त होता है। 
जो भाद्रपद शुक्ल एकादशी को व्रत और पूजन करता है उसका फल वही है जिसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन किया इसे परिवर्तिनी एकादशी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन भगवान करवट लेते हैं। श्रीकृष्ण के वचन सुनकर युधिष्ठिर ने कहा, हे भगवान! मुझे अतिसंदेह हो रहा है कृपया आप इन सबके बारे में मुझसे विस्तार से कहें Iश्रीकृष्ण ने कहा, हे राजन! एकादशी की व्रत कथा का श्रवण करें। त्रेतायुग में बलि नाम का एक दैत्या था। वो मेरा परम भक्त था। उसने मुझे प्रसन्न करने के लिए कई तरह के वेद सूक्तों के साथ पूजन किया था। साथ ही वो लगातार ब्राह्मणों का पूजन करता तथा यज्ञ के आयोजन करता था। लेकिन उसे इंद्रदेव से द्वेष था। यही कारण था कि उसने इंद्रलोक तथा सभी देवताओं पर अपना आधिपत्य हासिल कर लिया था। बलि से सभी देवतागण बेहद दुखी थे। ऐसे में वो सभी एकत्र होकर भगवान के पास गए। बृहस्पति सहित इंद्रादिक देवता प्रभु के निकट गए और नतमस्तक हो गए। वो वेद मंत्रों से भगवान का पूजन करने लगे। अत: मैंने वामन रूप धारण किया। यह मेरा पांचवां अवतार था। फिर अत्यंत तेजस्वी रूप से मैंने राजा बलि को परास्त किया। 
श्रीकृष्ण ने कहा, मैंने बलि से तीन पग भूमि मांगी थी। राजा बलि ने इस इच्छा को तुच्छ समझा और मुझे वचन दे दिया कि वो मुझे तीन पग जमीन देगा। मैंने अपने त्रिविक्रम रूप को बढ़ाकर भूलोक में पद, भुवर्लोक में जंघा, स्वर्गलोक में कमर, मह:लोक में पेट, जनलोक में हृदय, यमलोक में कंठ की स्थापना कर सत्यलोक में मुख, उसके ऊपर मस्तक स्थापित किया। सूर्य, चंद्रमा आदि सब ग्रह और देवता गणों ने अलग-अलग तरह से वेद सूक्तों से प्रार्थना की तब मैंने राजा बलि का हाथ पकड़ा और कहा, हे राजन! एक पद से पृथ्वी, दूसरे से स्वर्गलोक पूर्ण हो गए। अब तीसरा पग कहां रखूं? इतने में ही राजा बलि ने अपना मस्तक मेरा सामने झुका दिया। ऐसे में मैंने अपना पैर उसके मस्तक पर स्थापित कर दिया। इससे वह पाताल को चला गया। उनकी विनम्रता देख मैंने उससे कहा कि मैं हमेशा तुम्हारे पास ही रहूंगा। फिर भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन बलि के आश्रम पर मेरी मूर्ति की स्थापना की गई। ठीक इसी तरह दूसरी मूर्ति क्षीरसागर में शेषनाग के पष्ठ पर हुई! श्रीकृष्ण ने कहा, हे राजन! इस एकादशी के दिन भगवान सोते हुए करवट लेते हैं। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए जो तीनों लोकों के स्वामी हैं। रात्रि जागरण समेत तांबा, चांदी, चावल और दही का दान करना भी उचित माना गया है। अगर इस व्रत को विधिपूर्वक किया जाए तो व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है। इस दौरान यह कथा पढ़ने से व्यक्ति को हजार अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है I
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Category
टी-सीरीज़ - T-Series
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