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ब्रह्मपुत्र आरती | Brahmputra Aarti | SUNIL KEDIA | ???? ब्रह्मपुत्र नदी की अनुपम अनोखी आरती ???? |

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????आइये सच्चे मन से ब्रह्मपुत्र बाबा (ब्रह्मपुत्र नदी ) की इस अनुपम आरती का श्रवण करें जो अपनेआप में बहुत ही अनोखी और अलग है ????
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????Brahmputra Aarti????
Singer: Sunil Kedia
Music Director: Sunny Sharma
Lyrics: Traditional
Album: Brahmputra Aarti
Music Label: T-Series

ब्रह्मपुत्र एक नदी है। प्रायः भारतीय नदियों के नाम स्त्रीलिंग में होते हैं पर ब्रह्मपुत्र एक अपवाद है। संस्कृत में ब्रह्मपुत्र का शाब्दिक अर्थ ब्रह्मा का पुत्र होता है। यह नदी तिब्बत, भारत तथा बांग्लादेश से होकर बहती है। ब्रह्मपुत्र का उद्गम हिमालय के उत्तर में तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील के निकट होता है, जहाँ इसे यरलुङ त्सङ्पो कहा जाता है। तिब्बत में बहते हुए यह नदी भारत के अरुणांचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है।
ब्रह्मपुत्र नदी एक बहुत लम्बी (2900 किलोमीटर) नदी है। ब्रह्मपुत्र का नाम तिब्बत में सांपो, अरुणाचल में डिहं तथा असम में ब्रह्मपुत्र है। ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश की सीमा में जमुना के नाम से दक्षिण में बहती हुई गंगा की मूल शाखा पद्मा के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है।
उद्गम:
इस नदी का उद्गम तिब्बत में कैलाश पर्वत के निकट जिमा यॉन्गजॉन्ग झील है। आरंभ में यह तिब्बत के पठारी इलाके में, यार्लुंग सांगपो नाम से, लगभग 4000 मीटर की औसत उचाई पर, 1700 किलोमीटर तक पूर्व की ओर बहती है, जिसके बाद नामचा बार्वा पर्वत के पास दक्षिण-पश्चिम की दिशा में मुङकर भारत के अरूणाचल प्रदेश में घुसती है जहां इसे सियांग कहते हैं।
उंचाई को तेजी से छोड़ यह मैदानों में दाखिल होती है, जहां इसे दिहांग नाम से जाना जाता है। असम में नदी काफी चौड़ी हो जाती है और कहीं-कहीं तो इसकी चौड़ाई 10 किलोमीटर तक है। डिब्रूगढ तथा लखिमपुर जिले के बीच नदी दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है। असम में ही नदी की दोनो शाखाएं मिल कर मजुली द्वीप बनाती है जो दुनिया का सबसे बड़ा नदी-द्वीप है। असम में नदी को प्रायः ब्रह्मपुत्र नाम से ही बुलाते हैं, आश्चर्य की बात यह है कि हर साल जून महीने में असम के कामाख्या देवी मंदिर की महिमा से तीन दिनों तक ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है. मान्यता के अनुसार, इस दौरान देवी अपने मासिक चक्र में होती हैं इसलिए ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है | इस दौरान यह मंदिर 3 दिनों तक बंद रहता है. मंदिर से निकलने वाले इस लाल पानी को यहां आने वाले भक्तों के बीच बांटा जाता है | इन तीन दिनों में भक्तों का बड़ा सैलाब इस मंदिर में उमड़ता है | भक्तों को प्रसाद के रूप में लाल रंग का सूती कपड़ा भेंट किया जाता है | ऐसा हर साल अम्बुवाची मेले के समय ही होता है |

असम में नदी को प्रायः ब्रह्मपुत्र नाम से ही बुलाते हैं, पर बोडो लोग इसे भुल्लम-बुथुर भी कहते हैं जिसका अर्थ है- कल-कल की आवाज निकालना।

इसके बाद यह बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहां इसकी धारा कई भागों में बट जाती है | एक शाखा गंगा की एक शाखा के साथ मिल कर मेघना बनाती है | शेष सभी धाराएं बंगाल की खाङी में गिरती है |

तो आइये सच्चे मन से ब्रह्मपुत्र बाबा (ब्रह्मपुत्र नदी ) की इस अनुपम आरती का श्रवण करें जो अपनेआप में बहुत ही अनोखी और अलग है |

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Category
टी-सीरीज़ - T-Series
Tags
T-Series bhakti sagar, tseries bhakti songs, bhakti songs
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