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देव उठनी एकादशी तुलसी विवाह Special भजन I Tulsi Vivah Bhajans I Dev Uthani Ekadashi Special Bhajans

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????????????????जय श्री हरि, जय तुलसी मैया????????????????देव उठनी एकादशी एवं तुलसी विवाह की हार्दिक शुभकामनाएँ ! इस शुभ अवसर भजनों की अद्भुत श्रृंखला प्रस्तुत है तुलसी जी की आरती एवं भजन के साथ भगवान विष्णु की आरती एवं भजन और अंत में तुलसी विवाह कथा के साथ तुलसी चालीसा का श्रवण करना ना भुलें
Jai Tulsi Mata (Aarti) 00:00
Om Jai Jagdish Hare 7:30
Tulsi Mata Ki Mahima 13:02
Shriman Narayan(Dhun) 18:29
Kabhi Lakshmi Banke 24:10
Shree Vishnu Amritwani 32:24
Ishwar Ne Dua Dee Hai 37:02
Dhun (Hari Bol Hari Bol) 43:49
Tulsi Chalisa 51:26
Music Label: T-Series
#TSeriesBhaktisagar
Singers: Anuradha Paudwal, Kavita Paudwal, Suresh Wadkar, Anjali Jain
Album: Dev Uthani Ekadashi Tulsi Vivah Special Bhajans

Bhajan: Jai Tulsi Mata (Aarti)
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Shekhar Sen
Lyricist: Bharat Acharya
Album: Jai Tulsi Maiya

Bhajan: Om Jai Jagdish Hare
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Arun Paudwal
Lyricist: Traditional
Album: Aarti Vol.6

Bhajan: Tulsi Mata Ki Mahima
Singer: Kavita Paudwal
Music Director: Shekhar Sen
Lyricist: Bharat Acharya
Album: Jai Tulsi Maiya

Bhajan: Shriman Narayan (Dhun)
Singer: Suresh Wadkar
Music Director: Uday Majumdar
Lyricist: Dr.B.P. Vyas
Album: Shriman Narayan (Dhun)

Bhajan: Kabhi Lakshmi Banke
Singer: Anjali Jain
Music Director: Dhananjay Mishra
Lyricist: Ashok Sheopuri
Album: Kabhi Lakshmi Banke Kabhi Sharda Banke

Bhajan: Shree Vishnu Amritwani
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Surinder Kohli
Lyricist: Balbir Nirdosh
Album: Shree Vishnu Amritwani

Bhajan: Ishwar Ne Duaa Dee Hai
Singer: Kavita Paudwal
Music Director: Shekhar Sen
Lyricist: Bharat Acharya
Album: Jai Tulsi Maiya

Bhajan: Dhun (Hari Bol Hari Bol)
Singer: Anuradha Paudwal
Music Director: Surinder Kohli
Lyricist: Traditional
Album: Bhajan Sandhya Vol.1

Bhajan: Tulsi Chalisa
Singer: Kavita Paudwal
Music Director: Shekhar Sen
Lyricist: Bharat Acha
Album: Jai Tulsi Maiya
देवउठनी एकादशी व्रत कथा: एक समय एक राजा था। उसके राज्य में सभी एकादशी का व्रत करते थे। एकादशी के दिन पूरे राज्य में किसी को अन्न नहीं दिया जाता ​था। एक दिन एक व्यक्ति नौकरी मांगने के उद्देश्य से राजा के दरबार में आया। उसकी बातें सुनने के बाद राजा ने कहा कि नौकरी तो मिल जाएगी, लेकिन एकादशी के दिन अन्न नहीं मिलेगा एकादशी का व्रत आया सभी का व्रत था। उसने भी फलाहार किया लेकिन भूख नहीं मिटी। वह राजा के पास अन्न मांगने गया। इस पर राजा ने अपनी शर्त वाली बात दोहराई। उस व्यक्ति ने कहा कि वह भूख से मर जाएगा, उसे अन्न जरूरी है तब राजा ने उसे आटा, दाल,चावल दिया। वह नदी किनारे स्नान किया और भोजन बनाया और भगवान को निमंत्रण दिया। तब भगवान विष्णु वहां आए और भोजन किया फिर चले गए। फिर दूसरे मास की एकादशी आई। इस बार उसने अधिक अनाज मांगा। राजा ने कारण पूछा तो उसने बताया कि पिछली बार भगवान ने भी भोजन करा था I इतने अनाज से दोनों का पेट नहीं भरता। राजा चकित थे,उनको उस व्यक्ति की बात पर विश्वास नहीं हुआ तब वह राजा को अपने साथ लेकर गया उसने स्नान करके भोजन बनाया और भगवान को निमंत्रण दिया लेकिन इस बार भगवान नहीं आए वह शाम तक भगवान का इंतजार करता रहा राजा छिपकर सब देख रहे थे अंत में उसने कहा कि हे भगवान! यदि आप भोजन करने नहीं आएंगे तो नदी में कूदकर जान दे दूंगा। भगवान के ना आने पर वह नदी की ओर जाने लगा, तब भगवान प्रकट हुए उन्होंने भोजन किया फिर उस पर भगवत कृपा हुई और वह प्रभु के साथ उनके धाम चला गया I राजा को ज्ञान हो गया कि भगवान को भक्ति का आडंबर नहीं चाहिए। वे सच्ची भावना से प्रसन्न होते हैं और दर्शन देते हैं। इसके बाद से राजा भी सच्चे मन से एकादशी का व्रत करने लगे। अंतिम समय में उनको भी स्वर्ग की प्राप्ति हो गई
तुलसी विवाह की क​था:- नारद पुराण के अनुसार, एक समय दैत्यराज जलंधर के अत्याचारों से ऋषि-मुनि, देवता और मनुष्य सभी बहुत परेशान थे। वह बड़ा ही पराक्रमी और वीर था। इसके पीछे उसकी पतिव्रता धर्म का पालन करने वाली पत्नी वृंदा के पुण्यों का फल था, जिससे वह पराजित नहीं होता था। उससे परेशान देवता भगवान विष्णु के पास गए और उसे हराने का उपाय पूछा। तब भगवान श्रीहरि ने वृंदा का पतिव्रता धर्म तोड़ने का उपाय सोचा। भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा को स्पर्श कर दिया। जिसके कारण वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग हो गया और जलंधर युद्ध में मारा गया I दुखी वृंदा ने श्रीहरि को श्राप दिया कि आपकी पत्नी का भी छल से हरण होगा तथा आपको पत्नी वियोग सहना होगा। इसके लिए आपको पृथ्वी पर जन्म लेना होगा। यह श्राप देने के बाद वृंदा सती हो गई। उस स्थान पर तुलसी का पौधा उग गया। रामावतार में श्राप के कारण सीता हरण होता है और श्रीराम पत्नी वियोग सहन करते हैं उसके कारण ही शालिग्राम स्वरुप में भगवान विष्णु की पूजा होती है वृंदा का पतिव्रता धर्म तोड़ने से भगवान विष्णु को बहुत ग्लानि हुई तब उन्होंने वृंदा को आशीष दिया कि वह तुलसी स्वरुप में सदैव उनके साथ रहेगी उन्होंने कहा कि कार्तिक शुक्ल एकादशी को जो भी शालिग्राम स्वरुप में उनका विवाह तुलसी से कराएगा, उसकी मनोकामना पूर्ण होगी। तब से तुलसी विवाह होने लगा
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Category
टी-सीरीज़ - T-Series
Tags
Jai Tulsi Mata, Anuradha Paudwal, jay tulsi mata
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